वाराणसी : कोरोना ने तोड़ा अपना ही रिकार्ड आज 115 नए मरीजों के मिलने के बाद कुल आकड़ा हुआ 1386

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- By : SANJEEV KR TIWARI

वाराणसी : बाबा भोले की नगरी काशी को मानो किसी की नजर लग गई हो, सारे दुखों और मुसीबतों को भुला आगे बढ़ मिशाल पेश करने वाला अपना शहर बनारस कोरोना के इस भयावह महामारी के चपेट बुरी तरह से आ गया है। यहाँ कोरोना खुद अपने रिकार्ड प्रतिदिन तोड़ती जा रही है और अब तो प्रतिदिन नए रिकार्ड सामने आ रहे हैं। ऐसे में इस शहर के वाशीयों में भय का माहौल कायम है। आज दिनांक 20/07/2020 को भी कुछ ऐसा ही हुआ जब रिकार्ड 115 नए कोरोना के मरीज जनपद में मिले। जनपद में अब कुल कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1386 हो गई है और कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 768 है। आज एक व्यक्ति के मौत के साथ कोरोना से मौतों की कुल संख्या 33 हो चुकी है। जबकि 48 मरीजों को स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है।

इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन लगातार एहतियाती कदम उठाने के साथ साथ लोगों से अपील भी कर रही है। जिला प्रशासन ने सोमवार को यह निर्णय लिया कि कोरोना संक्रमित मरीजों को अब घर पर भी आईसोलेट किया जायेगा और घर पर ही चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया करायी जायेंगी।

585 मरीज कोरोना से अपनी लड़ाई जीत कर स्वस्थ होकर अपने-अपने हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। तो हम उन सभी स्वस्थ हो चुके कोरोना योद्धाओं से निवेदन करेंगे की आगे आएँ और प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के इलाज में अपना बहुमूल्य योगदान दें। हम इस शहर के माध्यम से पूरी दुनिया को एक मिशाल दे सकते हैं की कोरोना हमे हरा नहीं सकता क्यूंकी हारेगा कोरोना और जीतेगा भारत।

क्या है प्लाज्मा थेरपी :
सीधे तौर पर इस थेरपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है। किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है। अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है, जो मरीज इस वायरस की वजह से बीमार हुआ था। जब वह ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में इस कोविड वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनता है। इसी एंटीबॉडी के बल पर मरीज ठीक होता है। जब कोई मरीज बीमार रहता है तो उसमें एंटीबॉडी तुरंत नहीं बनता है, उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से वह सीरियस हो जाता है।

ऐसे में जो मरीज अभी अभी इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है, वही एंटबॉडी उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दिया जाता है। वहां जैसे ही एंटीबॉडी जाता है मरीज पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है, इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।

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