कोरोना काल मे अधिवक्ताओं का आर्थिक शोषण, 100 रुपए लेकर परिचय पत्र जारी करने का आरोप

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- By : CHEGVEWARA RAGHUVANSHI

वाराणसी : दीवानी कचहरी परिसर सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य मे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पब्लिक इन्टरेस्ट लिटिगेशन न0 2436 सन 2019 मे पारित आदेश के अनुपालन के क्रम मे श्री उमेश चन्द्र शर्मा जी जिला एव सत्र न्यायाधीश वाराणसी महोदय के द्वारा दिनांक 16.01.2020 को कार्यालयी आदेश पारित किया गया कि मा0 उच्च न्यायालय के आदेशानुसार न्यायालय एव कचहरी परिसर मे परिचय पत्र के आधार पर ही प्रवेश सम्भव होगा जबकि अधिवक्ताओ के रजिस्ट्रेशन के समय ही बार कौंसिल आफ उ0प्र0 द्वारा परिचय पत्र जारी किया जाता है तथा बार कौंसिल आफ इण्डिया द्वारा हर वर्ष 4000 रुपये शुल्क लेकर परीक्षा के बाद सीओपी कार्ड जारी किया जाता है इसके उपरान्त अब मा0 उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम मे जिला जज महोदय द्वारा 100 रुपये शुल्क लेकर परिचय पत्र जारी किया जा रहा जिसका कोई भी पावती रसीद नही दिया जा रहा है और ना ही मा0 उच्च न्यायालय के आदेश मे ही शुल्क का कोई भी उल्लेख ही किया गया है जिस कारण वाराणसी कचहरी मे पूरजोर विरोध अधिवक्ता बन्धुओ द्वारा किया जा रहा है है युवा अधिवक्ता रिषि कांत सिह ने कहा कि मेरा प्रश्न बार कौसिंल आफ इंडिया एवं बार कौसिंल आफ उत्तर प्रदेश से है।

माननीय उच्च न्यायलय उत्तर प्रदेश के आदेशानुसार माननीय जिला जज के यहाँ से जो आई कार्ड हम अधिवक्ता बन्धुओं को जारी हो रहा हैं उसमें COP की जरूरत नहीं केवल लोकल बार का सदस्यता प्रमाण पत्र और बार कौसिंल के आई कार्ड का प्रमाण पत्र तो प्रश्न यह हैं कि तब तो वकालत करने के लिए जिला जज साहब के यहाँ से प्राप्त कार्ड मान्य हैं जिसका COP से कोई मतलब नहीं एवं अब COP का मतलब केवल वोट देने एवं चुनाव लड़ने हेतु मात्र रह गया है तब जिस अधिवक्ता भाई को केवल वकालत करनी हैं तो वह फिजूल का COP के लिए 4000 रूपयें क्यों खर्च करें।

रजनीश कुमार मिश्र, पूर्व महामंत्री - दी बनारस बार एसोसिएशन, वाराणसी ने कहा कि कचहरी में 100 रु जमा कराकर वकीलो का परिचय पत्र, जिलाजज द्वारा जारी किया जा रहा, जो 50 रु लायक भी नही, बार काउंसिल द्वारा जारी सीओपी नंबर भी नही लिखा, मतलब बार काउंसिल के कार्ड का महत्व नही।उल्टी गंगा बहती है। युवा अधिवक्ता राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि जिला जज द्वारा अधिवक्ता बंधुओं को परिचय पत्र जारी किया गया है उसके एवज में जो 100 रूपया लिया जा रहा है वह मिलना चाहिए। युवा अधिवक्ता विवेक पाण्डेय ने कहा कि एक प्रश्न यह है कि सी ओ पी का क्या होगा युवा अधिवक्ता मनीष कुमार ने कहा कि जिला जज महोदय द्वारा जो कार्ड बनवाया जा रहा है जिसके एवज में ₹100 लिया जा रहा है वह सरासर गलत है क्योंकि हाई कोर्ट के निर्देश से बनाया जा रहा है उसमें पैसा का कोई प्रावधान नहीं है। अब एसे मे ये सीधा आरोप इंगित होता है कि परिचय पत्र बनाये जाने मे प्रति अधिवक्ता जो शुल्क 100 रुपये लिया जा रहा है वो मानवीय रुप से उचित नही है।

श्रोत : गांडीव दैनिक अखबार

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